।। शिव मानस पूजा स्तुति।।



 रत्नैः कल्पितमानसं हिमजलैः स्नानं च दिव्याम्बरं।
 नाना रत्न विभूषितम्‌ मृग मदामोदांकितम्‌ चंदनम॥
जाती चम्पक बिल्वपत्र रचितं पुष्पं च धूपं तथा।
दीपं देव दयानिधे पशुपते हृत्कल्पितम्‌ गृह्यताम्‌॥

 सौवर्णे नवरत्न खंडरचिते पात्र घृतं पायसं।
भक्ष्मं पंचविधं पयोदधि युतं रम्भाफलं पानकम्‌॥
शाका नाम युतं जलं रुचिकरं कर्पूर खंडौज्ज्वलं।
 ताम्बूलं मनसा मया विरचितं भक्त्या प्रभो स्वीकुरु॥

 छत्रं चामर योर्युगं व्यंजनकं चादर्शकं निर्मलं।
 वीणा भेरि मृदंग काहलकला गीतं च नृत्यं तथा॥
साष्टांग प्रणतिः स्तुति-र्बहुविधा ह्येतत्समस्तं ममा।
संकल्पेन समर्पितं तव विभो पूजां गृहाण प्रभो॥

 आत्मा त्वं गिरिजा मतिः सहचराः प्राणाः शरीरं गृहं।
 पूजा ते विषयोपभोगरचना निद्रा समाधिस्थितिः॥
 संचारः पदयोः प्रदक्षिणविधिः स्तोत्राणि सर्वा गिरो।
 यद्यत्कर्म करोमि तत्तदखिलं शम्भो तवाराधनम्‌॥

 कर चरण कृतं वाक्कायजं कर्मजं वा श्रवणनयनजं वा मानसं वापराधम्‌।
 विहितमविहितं वा सर्वमेतत्क्षमस्व जय जय करणाब्धे श्री महादेव शम्भो॥
Share on Google Plus

About सौरभ मैथिल

This is a short description in the author block about the author. You edit it by entering text in the "Biographical Info" field in the user admin panel.

0 comments:

Post a Comment

Thanks for your valuable feedback. Please be continue over my blog.

आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद। कृपया मेरे ब्लॉग पर आना जारी रखें।

Disclaimer: इस ब्लॉग पर बहुत जगहों से content को उपलब्ध किया जा रहा है, अगर आपको लगे की ये चीज आपकी है तो आप सम्बंधित पोस्ट पर कमेंट करें ना की हमें कॉल करने की कोशिश ।