Brhmacharni Mata |
द्वितीय नवदुर्गा: माता ब्रह्मचारिणी
नवरात्र पर्व के दूसरे दिन "माता ब्रह्मचारिणी" की पूजा-अर्चना की जाती है | भगवान शिव से विवाह हेतु प्रतिज्ञाबद्ध होने के कारण ये ब्रह्मचारिणी कहलायी | ब्रह्म का अर्थ है तपस्या ओर चारिणी यानी आचरण करने वाली| इस प्रकार ब्रह्मचारिणी का अर्थ हुआ तप का आचरण करने वाली |
माता शैलपुत्री का उपासना मंत्र
दधाना करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा॥
माता का स्वरूप
देवी ब्रह्मचारिणी के दाहिने हाथ मे जप की माला है ओर बाए हाथ मे कमंडल है | देवी ब्रह्मचारिणी साक्षात ब्रह्म का स्वरूप है अर्थात तपस्या का मूर्तिमान रूप है | ये देवी भगवती दुर्गा, शिवस्वरूपा, गणेशजननी, नारायनी, विष्णुमाया ओर पूर्ण ब्रह्मस्वरूपिणी के नाम से प्रसिद्ध है|
आराधना महत्व
देवी ब्रह्मचारिणी की उपासना से मनुष्य मे तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार , संयम की वृद्धि होती है | जीवन की कठिन समय मे भी उसका मन कर्तव्य पथ से विचलित नही होता है | देवी अपने साधको की मलिनता , दुर्गणो ओर दोषो को खत्म करती है | देवी की कृपा से सर्वत्र सिद्धि ओर विजय की प्राप्ति होती है |
पूजा मे उपयोगी वस्तु
मां भगवती को नवरात्र के दूसरे दिन चीनी का भोग लगाना चाहिए और ब्राह्मण को दान में भी चीनी ही देनी चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से मनुष्य दीर्घायु होता है। इनकी उपासना करने से मनुष्य में तप, त्याग, सदाचार आदि की वृद्धि होती है।
ब्रह्मचारिणी माता की आरती
जय अंबे ब्रह्माचारिणी माता।
जय चतुरानन प्रिय सुख दाता।
ब्रह्मा जी के मन भाती हो।
ज्ञान सभी को सिखलाती हो।
ब्रह्मा मंत्र है जाप तुम्हारा।
जिसको जपे सकल संसारा।
जय गायत्री वेद की माता।
जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता।
कमी कोई रहने न पाए।
कोई भी दुख सहने न पाए।
उसकी विरति रहे ठिकाने।
जो तेरी महिमा को जाने।
रुद्राक्ष की माला ले कर।
जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कर।
आलस छोड़ करे गुणगाना।
मां तुम उसको सुख पहुंचाना।
ब्रह्माचारिणी तेरो नाम।
पूर्ण करो सब मेरे काम।
भक्त तेरे चरणों का पुजारी।
रखना लाज मेरी महतारी।
0 comments:
Post a Comment
Thanks for your valuable feedback. Please be continue over my blog.
आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद। कृपया मेरे ब्लॉग पर आना जारी रखें।