Mithila K Nagpanchami |
पंचमी पाबनि
मेना पंचमी क नाग पंचमी सेहो कहल जाइत अछि। इ पाबनि सौन (सावन) महीना क कृष्णपक्षक पाँचम दिन मनाओल जाइत अछि। अजुक दिन मिथिला मे माटिक थुम्हा बनाक' घरे-घर राखल जेवाक परंपरा अछि। आई कुलदेवी वा कुलदेवता क पातरि सेहो देल जाइत छनि। भोरे-भोर वृद्ध स लकs बच्चा सब नीमक पात आ नेबो खाय क आजुक दिनक शुरुआत करैत छैथ।
साँपक प्रकोप सँ बचबाक लेल मूसक माँटि मंत्रिया क' लाबा संगे मिला क घर सब मे छीटल जेबाक परंपरा अछि। सब घर आ खिरकी सब का गेट पर गोबर सँ नाग-नागिनक चित्र सेहो बनाओल जाइत अछि। आइ मिथिलाक प्रायः सब घर मे खीर आ घोरजाउर बनिते अछि।
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मिथिलाक नवविवाहिता लोकनिक प्रसिद्ध पाबनि मधुश्रावणी पूजब सेहो आइये सँ आरंभ भs जाइत अछि जे अगिला तृतीया धरि चलत। एहिमे नव विवाहिता लोकनि फूल लोढ़ि क महादेव-गौरी, नाग-नागिन, सूर्य-चन्द्रमा और देवी सती समेत अन्य देवी-देवताक पूजन अपन सोहागक रक्षार्थ करै छथि। मधुश्रावणी पाबनि सामान्यतया मैथिल ब्राह्मण आ कर्ण कायस्थ परिवार मे प्रचलित अछि। मधुश्रावणी पाबनि टेमी क विध संगे समाप्त भ जाइत अछि।
सब गोटे क मेना-पंचमी/नाग-पंचमी क खूब रास शुभकामना। आ सब नव-विवाहिता सब क मधुश्रावणी पाबनि क मधुर मंगलकामना।
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