शारदीय नवरात्रा

🌻शारदीय नवरात्री 2019🌻

कलश स्थापना मुहूर्त :- 29 सितंबर  2019 दिन रविवार
प्रथम मुहूर्त - प्रातः 6:03  से 8:22 तक
द्वितीय मुहूर्त - दोपहर 11:36 से 12 :24 तक 
मां का आगमन - डोली पर*


9 देवियो कें प्रतिदिन के भोग


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🌷 प्रथम दिवस - कलशस्थापन  एवं मां शैलपुत्री की पूजा
मुख्य भोग - खीर ।
उपाय - घी का भोग लगाएं और दान करें, बीमारी दूर होगी।

🌷द्वितीय दिवस -  मां ब्राह्मचारिणी की पूजा
मुख्य भोग- खीर, गाय का घी एवं मिश्री ।
उपाय - शक्कर का भोग लगाएं और उसका दान करें, आयु लंबी होती है।

🌷 तृतीय दिवस - मां चन्द्रघंटा की पूजा
मुख्य भोग- केला
उपाय - दूध का भोग लगाएं और इसका दान करें, दु:खों से मुक्ति मिलती है ।

🌷 चतुर्थ दिवस -  मां कुष्मांडा की पूजा
मुख्य भोग- मखाना ।
उपाय - मालपुए का भोग लगाएं और दान करें, कष्टों से मुक्ति मिलती है।

🌷पंचम दिवस - मां स्कन्दमाता की पूजा 
मुख्य भोग- शहद ।
उपाय - गुड़ की चीजों का भोग लगाएं और दान भी करें, गरीबी दूर होती है।

🌷षष्टम दिवस - मां कात्यायनी की पूजा
मुख्य भोग- मिश्री । 
उपाय - केले व शहद का भोग लगाएं व दान करें, परिवार में सुख-शांति रहेगी और धन प्राप्ति के योग बनते हैं।

🌷सप्तम दिवस - मां कालरात्री की पूजा
मुख्य भोग- अंकुरीत चना एवं मूँग
उपाय - केले व शहद का भोग लगाएं व दान करें, परिवार में सुख-शांति रहेगी और धन प्राप्ति के योग बनते हैं।

🌷अष्टम दिवस - मां महागौरी की पूजा -
मुख्य भोग - नारियल ।
उपाय - नारियल का भोग लगाएं और दान करें, सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।

🌷 नवम दिवस - मां सिध्दीदात्री की पूजा -
मुख्य भोग- दही - पेड़ा।
उपाय - अनाजों का भोग लगाएं और दान करें , सुख-शांति मिलती है।

कन्या पूजन विधि



कन्या पूजन अष्टमी और नवमी दोनों ही दिन किया जा सकता है । 9 कुँवारी कन्याओं को सादर पुर्वक आमंत्रित करे ।

घर में प्रवेश करते ही कन्याओं के पाँव धोएं और उचित आसन पर बिठाए हाथ में मौली बांधे और माथे पर रोली की बिंदी लगाएं।

उनकी थाली में हलवा-पूरी और चने परोसे।

कन्या पूजन के लिए पूजा की थाली जिसमें दो पूरी और हलवा-चने रख ले और बीच में आटे से बने एक दीपक को शुद्ध घी से जलाएं। कन्या पूजन के बाद सभी कन्याओं को अपनी थाली में से यही प्रसाद खाने को दें। अब कन्याओं को उचित उपहार तथा कुछ राशि भी भेंट में देऔर चरण छुएं और उनके प्रस्थान के बाद स्वयं प्रसाद खाले।

नवरात्र पूजा विसर्जन विधि -


कन्या पूजन के पश्चात एक पुष्प एवं चावल के कुछ दाने हथेली में लें और संकल्प लें|

कलश में स्थापित नारियल और चढ़ावे के तौर पर सभी फल, मिष्ठान्न आदि को स्वयं भी ग्रहण करें और परिजनों को भी दें| घट के पवित्र जल का पूरे घर में छिडकाव करें और फिर सम्पूर्ण परिवार इसे प्रसाद स्वरुप ग्रहण करें| घट में रखें सिक्कों को अपने गुल्लक में रख सकते हैं, बरकत होती है|

माता की चौकी से सिंहासन को पुनः अपने घर के मंदिर में उनके स्थान पर ही रख दें|

श्रृंगार सामग्री में से साड़ी और जेवरात आदि को घर की महिला सदस्याएं प्रयोग कर सकती हैं| चढ़ावे के तौर पर सभी फल, मिष्ठान्न आदि को भी परिवार में बांटें| चौकी और घट के ढक्कन पर रखें चावल एकत्रित कर पक्षियों को दें| माँ दुर्गे की प्रतिमा अथवा तस्वीर, घट में बोयें गए जौ एवं पूजा सामग्री, सब को प्रणाम करें और समुन्द्, नदी या सरोवर में विसर्जित कर दें| विसर्जन के पश्चात एक नारियल, दक्षिणा और चौकी के कपडें को किसी ब्राह्मण को दान करें|
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About सौरभ मैथिल

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