धोती पहनने का वैज्ञानिक महत्व


पूजन कार्य में धोती क्यों पहनना चाहिए ?

किसी भी प्रकार की पूजा-अर्चना के लिए पुरुषों को धोती पहनना चाहिए, यह प्राचीन परंपरा है। आज भी कई स्थानों पर पुरुषों के लिए पूजा के समय धोती पहनना अनिवार्य नियम है।
वैसे तो धोती पहनने का चलन बहुत कम हो गया है और पूजन आदि कर्मों में धोती की अनिवार्यता ब्राह्मणों तक ही सीमित रह गई है। प्राचीनकाल में धोती पहने बिना पूजादि कर्मकांड पूर्ण नहीं माने जाते थे। इसी वजह से धोती को पवित्र परिधान माना गया है।
वैज्ञानिक महत्व :- 
धोती पहनने की अनिवार्यता के पीछे वैज्ञानिक महत्व भी है। पूजा-अर्चना जैसे कार्यों में काफी देर तक एक विशेष अवस्था में श्रद्धालु को बैठे रहना पड़ता है, उस दशा में धोती से अच्छा कोई और परिधान नहीं हो सकता है। आजकल लोग जींस, पेंट आदि पहनकर ही पूजा कार्य करते हैं, जिससे बैठने-उठने में कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। शरीर के रोमछिद्रों से हमें शुद्ध प्राणवायु मिलती है, तंग कपड़े न सिर्फ इसमें बाधा डालते हैं बल्कि रक्तप्रवाह पर भी बुरा असर डालते हैं। इसलिए स्वास्थ्य की दृष्टि से भी धोती पहनना लाभदायक है। धोती बारिक सूती कपड़े से बनी होती है, जो कि हवादार और सुविधाजनक होती है। इसी वजह से पूजन कर्म के लिए धोती श्रेष्ठ परिधान है।
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About सौरभ मैथिल

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