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एगो एहनो युग भेल
मिथिला मे जनक सन राजर्षि भेल
राजा जनक छलथिन दर्शनक अध्येता
न्याय,धर्म और नैतिक महत्ता के प्रणेता
महर्षि विश्वामित्र, परशुराम,वशिष्ठ,
कवि वाल्मीकि आ साक्षात् पुरुषोत्तम
देखलखिन अनवीरल हुनकर विदेहता।
एगो एहनो युग भेल
मिथिला मे जानकी सन स्त्री भेल
मिथिला मे विदुषी जानकी जन्मल
विदेह भूमि मे दिव्य खुशी पनपल
छथि ओ नारीक बौद्धिक प्रतिमान
छथि रामायण जानकीक बलिदान
स्त्री जहिं पर करै छथि अभिमान
मैथिली करै छथि जिनकर गुणगान
वैदेही के कथा महाकाव्य अहि
मैथिल नारी के ओ सौम्य अहि।
एगो एहनो युग भेल
मिथिला मे याज्ञवालक्य सन ऋषि भेल
मिथिलाके गौरव याज्ञवालक्य छथि
प्राचीनकाल सँ ओ दार्शनिक छथि
पंडित के रूप मे प्रख्यात भेला
शिक्षा प्रकांड ब्रह्मविद्याक देला
वैशम्पायन के ओ तेजस्वी शिष्य भेला
वैदिक गुरु हुनकर विद्वता सँ परेशान भेला
उपनिषद्, शतपथ ब्राह्मण हुनकर रचना भेल
ग्रंथों मे हुनक दार्शनिक विचार अछि बहुत प्रबल
कताक शोध भेलै ,कताक मंथन
विद्वान् बुझै छथि कीछ-कीछ जखन तखन।
एगो एहनो युग भेल
मिथिला मे भारती सन विदुषी भेल
गार्गी, मैत्रेयी, भारती मंडन,
लखिमा सन मिथिला मे विदुषी भेल
अमरत्व सिद्धांत पर मैत्रेयी के वार्तालाप
याज्ञवालक्य सँ जग मे प्रसिद्द भेल
भारती के विद्वता सब जनै छी
वैदेही के मौलिकता सँ परिचित छी
दिग्विजयी शंकर सँ हुनकर शास्त्रार्थ
भारतीय दर्शनक अछि महाशास्त्र।
एगो एहनो युग भेल
मिथिला मे मंडन सन कर्मकांडी भेल
कोशी के गोद मे मंडन सन विद्वान् भेला
कर्मकाण्ड आ मीमांसा के अगुआ बनला
शंकर सँ हुनकर शास्त्रार्थ चलल बहुत दिन
ई शास्त्रार्थ नहिं सिर्फ आर्यावर्त मे
सम्पूर्ण जम्बूद्वीप मे विख्यात अछि।
एगो एहनो युग भेल
मिथिला मे कविकोकिल विद्यापति भेल
वाचस्पति सन अर्थ सिद्धांतक दार्शनिक
ज्योतिरीश्वर ठाकुर सन समाजसास्त्री
हिनक रचना वर्णरत्नाकर अछि प्रख्यात
छलथिन ओ मिथिलाके गौरव दरबारी कवि
कविकोकिल तँ ह्रदय मे बसैत छथि
हुनक रचना पुरुष-परीक्षा हमर प्राण थिका
मिथिलाके ओ मानसरोवर
ज्ञानक समुद्र छथि
पक्षधर मिश्र सन पण्डितक महत्व
हम सब सरले पर विरले जनै छी।
एगो एहनो युग भेल
मिथिला मे मैथिल रामायणक रचना भेल
चंदा झा सन वाग् पुत्र
रचलखिन मिथिला भाषा मे रामायण
ई रचना हुनक विद्वता के अछि प्रमाण
लक्ष्मीनाथ गोसाई सन योगी कवि
कएलनि भक्ति-भावनाक प्रचार
राधा, कृष्ण,शिव पर हुनकर कवि भक्ति
अछि सम्पूर्ण कविता जगत मे शक्ति
रामधारी सिंह दिनकरक महिमा
सम्पूर्ण जगत मे प्रकाशित अछि
प्रसिद्द इतिहासकार रामशरण शर्मा
वैदेही गंगा के गोद मे फूलल
राधाकृष्ण चौधरी सन पुरातत्विद
राजकमल चौधरी सन साहित्यकार
काशीकान्त मधुप आ उपेन्द्र ठाकुर सन
अनेको उच्च कोटि के विद्वान्
मिथिला के गोद मे रुसल पलल
गंगानाथ झा, शुभद्र झा
रामनाथ झा आ हरिमोहन झा के
मिथिला रचना भूमि बनल
औरोँ बहुत छथि विद्वान्
ई त कतिपय उदाहरण यात्रा थिक।
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कविता- मिथिला
रिपुंजय कुमार ठाकुर
8 दिसंबर 2016
नई दिल्ली।
एगो एहनो युग भेल
मिथिला मे जनक सन राजर्षि भेल
राजा जनक छलथिन दर्शनक अध्येता
न्याय,धर्म और नैतिक महत्ता के प्रणेता
महर्षि विश्वामित्र, परशुराम,वशिष्ठ,
कवि वाल्मीकि आ साक्षात् पुरुषोत्तम
देखलखिन अनवीरल हुनकर विदेहता।
एगो एहनो युग भेल
मिथिला मे जानकी सन स्त्री भेल
मिथिला मे विदुषी जानकी जन्मल
विदेह भूमि मे दिव्य खुशी पनपल
छथि ओ नारीक बौद्धिक प्रतिमान
छथि रामायण जानकीक बलिदान
स्त्री जहिं पर करै छथि अभिमान
मैथिली करै छथि जिनकर गुणगान
वैदेही के कथा महाकाव्य अहि
मैथिल नारी के ओ सौम्य अहि।
एगो एहनो युग भेल
मिथिला मे याज्ञवालक्य सन ऋषि भेल
मिथिलाके गौरव याज्ञवालक्य छथि
प्राचीनकाल सँ ओ दार्शनिक छथि
पंडित के रूप मे प्रख्यात भेला
शिक्षा प्रकांड ब्रह्मविद्याक देला
वैशम्पायन के ओ तेजस्वी शिष्य भेला
वैदिक गुरु हुनकर विद्वता सँ परेशान भेला
उपनिषद्, शतपथ ब्राह्मण हुनकर रचना भेल
ग्रंथों मे हुनक दार्शनिक विचार अछि बहुत प्रबल
कताक शोध भेलै ,कताक मंथन
विद्वान् बुझै छथि कीछ-कीछ जखन तखन।
एगो एहनो युग भेल
मिथिला मे भारती सन विदुषी भेल
गार्गी, मैत्रेयी, भारती मंडन,
लखिमा सन मिथिला मे विदुषी भेल
अमरत्व सिद्धांत पर मैत्रेयी के वार्तालाप
याज्ञवालक्य सँ जग मे प्रसिद्द भेल
भारती के विद्वता सब जनै छी
वैदेही के मौलिकता सँ परिचित छी
दिग्विजयी शंकर सँ हुनकर शास्त्रार्थ
भारतीय दर्शनक अछि महाशास्त्र।
एगो एहनो युग भेल
मिथिला मे मंडन सन कर्मकांडी भेल
कोशी के गोद मे मंडन सन विद्वान् भेला
कर्मकाण्ड आ मीमांसा के अगुआ बनला
शंकर सँ हुनकर शास्त्रार्थ चलल बहुत दिन
ई शास्त्रार्थ नहिं सिर्फ आर्यावर्त मे
सम्पूर्ण जम्बूद्वीप मे विख्यात अछि।
एगो एहनो युग भेल
मिथिला मे कविकोकिल विद्यापति भेल
वाचस्पति सन अर्थ सिद्धांतक दार्शनिक
ज्योतिरीश्वर ठाकुर सन समाजसास्त्री
हिनक रचना वर्णरत्नाकर अछि प्रख्यात
छलथिन ओ मिथिलाके गौरव दरबारी कवि
कविकोकिल तँ ह्रदय मे बसैत छथि
हुनक रचना पुरुष-परीक्षा हमर प्राण थिका
मिथिलाके ओ मानसरोवर
ज्ञानक समुद्र छथि
पक्षधर मिश्र सन पण्डितक महत्व
हम सब सरले पर विरले जनै छी।
एगो एहनो युग भेल
मिथिला मे मैथिल रामायणक रचना भेल
चंदा झा सन वाग् पुत्र
रचलखिन मिथिला भाषा मे रामायण
ई रचना हुनक विद्वता के अछि प्रमाण
लक्ष्मीनाथ गोसाई सन योगी कवि
कएलनि भक्ति-भावनाक प्रचार
राधा, कृष्ण,शिव पर हुनकर कवि भक्ति
अछि सम्पूर्ण कविता जगत मे शक्ति
रामधारी सिंह दिनकरक महिमा
सम्पूर्ण जगत मे प्रकाशित अछि
प्रसिद्द इतिहासकार रामशरण शर्मा
वैदेही गंगा के गोद मे फूलल
राधाकृष्ण चौधरी सन पुरातत्विद
राजकमल चौधरी सन साहित्यकार
काशीकान्त मधुप आ उपेन्द्र ठाकुर सन
अनेको उच्च कोटि के विद्वान्
मिथिला के गोद मे रुसल पलल
गंगानाथ झा, शुभद्र झा
रामनाथ झा आ हरिमोहन झा के
मिथिला रचना भूमि बनल
औरोँ बहुत छथि विद्वान्
ई त कतिपय उदाहरण यात्रा थिक।
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कविता- मिथिला
रिपुंजय कुमार ठाकुर
8 दिसंबर 2016
नई दिल्ली।
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Thanks for your valuable feedback. Please be continue over my blog.
आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद। कृपया मेरे ब्लॉग पर आना जारी रखें।