Mithila Me Makarsankranti Parv. |
मिथिला में मकरसंक्रांति
सबसे पहले मकरसंक्रांति की आप सबों को बहुत बहुत शूभकामनाएँ ।आइये जानते हैं कुछ इस पर्व के बारे में, इस का क्यूँ महत्वता है ?
यह त्यौहार पुरे देश में बहुत ही अलग अलग तरह से मनाई जाती रही है। लोग पतंग भी इस रोज खूब मजे के साथ दूर आश्मान में उड़ाते हैं ।
कहा जाता है कि साल की 12 संक्रांतियों में से मकर संक्रांति का सबसे ज्यादा महत्व है, क्योंकि इस दिन सूर्य देव मकर राशि में आते हैं और इसके साथ देवताओं का दिन शुरु हो जाता है। इसलिए मकर संक्रांति के दिन स्नान, दान और पूजन का बड़ा ही महत्व है। लेकिन इन सबसे ज्यादा महत्व है सूर्य देव का अपने पुत्र शनि के घर में आना। इस साल मकर संक्रांति पर कुछ ऐसा संयोग बना है, जिससे सूर्य और शनि दोनों को एक साथ खुश किया जा सकता है और यह ऐसा संयोग है जो कई वर्षों के बाद बना है।
संस्कृत प्रार्थना के अनुसार "हे सूर्य देव, आपको दण्डवत प्रणाम, आप ही इस जगत की आँखें हो। आप सारे संसार के आरम्भ का मूल हो, उसके जीवन व नाश का कारण भी आप ही हो।"
एक मात्र भगवन सूर्य ही प्रत्यक्ष देवता हैं, जिन्हें हरप्पा काल से ही महत्त्व दिया जाता है इसी आधार पर ।सूर्य को शक्ति का भंडार कहा जाता है ।
सूर्य ऊर्जा के भी श्रोत हैं ।
सूर्य का प्रकाश जीवन का प्रतीक है। चन्द्रमा भी सूर्य के प्रकाश से आलोकित है। वैदिक युग में सूर्योपासना दिन में तीन बार की जाती थी। महाभारत में पितामह भीष्म ने भी सूर्य के उत्तरायण होने पर ही अपना प्राणत्याग किया था। हमारे मनीषी इस समय को बहुत ही श्रेष्ठ मानते हैं। इस अवसर पर लोग पवित्र नदियों एवं तीर्थ स्थलों पर स्नान कर आदिदेव भगवान सूर्य से जीवन में सुख व समृद्धि हेतु प्रार्थना व याचना करते हैं।
विज्ञान भी सूर्य की महत्वता को समझता है और दूसरों को समझाता है ।क्योंकि, बिना सूर्य के पेड़ तो भोजन भी नही बनापाते और तो संसार अधूरा ।हमें भी सूर्य से मुफ्त में विटामिन डी प्राप्त होता है ।
एक बार फिर आप सबों को इस त्यौहार की बहुत बहुत बधाई ।खूब खाएं मगर बिना स्नान किये नही । दान पुन्य करें गरीबों की मदद से । और पतंग उड़ाएं मजे में ।
श्रोत:-लेखक की अपनी जानकारी के आधार पर ।
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