महाशिवरात्रि
को महादेव शिव की रात भी कहा जा सकता है, क्योंकि इस दिन देवों के देव महादेव एवं
माता शक्ति स्वरुप्नी पार्वती की विवाह हुई थी |
महाशिवरात्रि साधक को आध्यात्मिक शिखर पर ले जा सकती है, अगर वह इस दिन प्रकृति से सही तादात्म्य बना ले | इस दिन साधक में सहज रूप से ही ऐसी ऊर्जा निर्मित होती है, जो उसे शिव के तीसरे नेत्र के समान एक नई आध्यात्मिक दृष्टि देने में सक्षम है |
आध्यात्म के राह पर चलने
वाले साधकों की यात्रा बड़ी दुरूह मानी जाती है | अनजानी राह की भटकन, शारीरिक,
मानसिक और मनोवैज्ञानिक सीमाएं, मुश्किल हालातों में मनसूबे का डगमगा जाना-राह में
न जाने कितनी उलझने आती हैं | पर अगर किसी सद्गुरु का मार्गदर्शन और कृपा का
सान्निध्य मिल जाए तो यात्रा सुगम और सहज हो सकती है | परम प्राप्ति की चाह रखने
वाला साधक हर उस कुदरती घटना को, हर उस अवसर को, अपनी यात्रा का सोपान बना लेता
है, जो उसे आध्यात्मिक ऊंचाई प्रदान करती है और परम के करीब ले जाती है |
एक ऐसा ही अवसर है
महाशिवरात्रि |
महाशिवरात्रि का सीधा सम्बन्ध शिव से है, जो न
केवल आदि योगी हैं, बल्कि अलौकिक आनंद के आदि श्रोत भी हैं |
अगर महाशिवरात्रि का महत्व को
समझना है तो शिव को समझना महत्वपूर्ण हो जाता है |
very sweet
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