जो की मैथिलि भाषा में लिखा गया है |निम्न रूप में लिखित है :-
कार्तिक मासक शुक्ल पक्ष के द्वितीया तिथि कें मनाओल जाइत अछि. एकरा यम द्वितीयासेहो कहल जाइत छैक ! कहल जाइत छैक कि , यम देवता अपन बहिन जमुना कें एही दिनदर्शन देने छलाह! यम महाराज व्यस्तता केर कारणें अपन बहिन सं भेट नहि क' पबैत छलाह ! एहिदिन बहिन अरिपन दअ, ठाओ पीढ़ी क' भाइ के बाट तकैत अछि!
सब बहिन, अपन भाय के सुख, समृद्धि एवम् दीर्घायु के कामना करैत, भाइ- भैयाके टीका लगबैत छैथआ नौत लेत छैथ। बहिन सब भाइ के हाथ मे पिठार सिन्दुर लगाकऽ, हाथ मे पान सुपारी पैसा रखैत,जल सँ हाथ नौतति छैथ। नौतऽ काल माथ मे टीका लगा कऽ बहिन सब बजैत छैथ :-
''गंगा नोतय छैथ यमुना के, हम नोतय छी (भाई के नाम ) भाई के.
जहिना जहिना गंगा-यमुना के धार बहय,हमर भाय सबहक औरदा बढ़य"
मैथिलि केर ई एक तरह स मंत्र पढ़ैत छैथ । तकर बाद अपन इच्छाशक्ति के अनुसार भाइ सब बहिन के उपहार दैत छैथ।
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