रूढी भंजक शिव

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 शिवरात्रि को शिव का ब्याह हो गया | क्या-क्या करतब दिखाए सास-ससुर को | नंदी पर उल्टे बैठे, ताकि पीछे आते सब बारातियों को देख सके | जटाओं के मुकुट पर नागों का सेहरा | उबटन से पखारना तो दूर उल्टे शरीर पर भस्म पोत ली | बाराती दुनियाँ भर के अनपढ़ भादेसी | देवता लोग ऐसी बारात से पहले ही पहुँच गए थे, अपनी प्रतिष्ठा को बट्टा न लगे इसलिए | क्यों किया शिव ने ऐसा ?
   
                     असल में शिव रूढी भंजक हैं | दिखावे के लीए की गई खोखली रस्मों को तोड़ने वाले | फकीर तो हैं पर लकीर के नहीं | वर यात्रा में जाने का अधिकार केवल उच्चवर्ग ही नहीं हैं, अपितु निर्धन वर्ग भी हैं | उनको साथ ले कर चलने में कोई हेठी नहीं | रईस नाराज हों जाए तो हों |
                                राजसी वैभव को त्याग कर पार्वती शिव के साथ चली आईं | बेघरबार, अनिकेत शिव ने बर्फीली गुफाओं में दुल्हन को ले जाकर गृहस्थी बसाई | दांपत्य को जैसा उन्होंने निभाया और कौन निभा सकेगा | मा का अर्थ दो बार न-न है | ऐसी प्रखर पत्नी किसी भी बात को अंधभाव से स्वीकार नही करती | शिव ने कभी उनकी इच्छा का निरादर नहीं किया | उचित मार्ग का संकेत कर के चुप हो गए | पर शिव पार्वती एक ही शिलाखंड में सिमटे, एक-दुसरे के पूरक हैं | तभी तो वे अखंड सौभाग्य प्रदाता हैं |
           वे एक पूर्ण पुरुष का प्रतिमान हैं- आकाशी व्यक्तित्व, गौरवर्णी, सौम्य, उदारमना | तपस्या करने पर आएं तो ऐसी अखंड समाधी की भंग करने वाले को अनंग होना पड़े | भोग करने पर आएं तो रसिक शिरोमणि | अद्वितीय योद्धा, शस्त्र निर्माता, शल्य क्रिया में कुशल | उनका तीसरा नेत्र सृष्टि को भंग कर सकता है | आज का विज्ञान मारक अस्त्रों को बनाने की होड़ कर रहा है | भस्मासुर की कथा विज्ञान के  अभिशाप का प्रतिक है कि कैसे वह मनुष्य के लिए आत्महंता बन सकता है | इसीलिए मस्तक को संतुलित और शीतल रखना अनिवार्य है | शिव ने गंगा और चंद्रमा को यूँ ही अपने शीश पर धारण नही कर किया | वे संसार की साडी कटुता के विष को कंठ तक ही लेते हैं | दिल पर नही लेते, इसलिए आशुतोशी हैं |
                                      देवों में महादेव, शक्ति का पुंज हैं | शक्ति का प्रयोग निजी हित के लिए नहीं करते | साधक की सादगी का जीवन जीते हैं | कहीं कोई आलिशान महल नहीं | एक बार पार्वती के हठ को पूरा करने के लिए विश्वकर्मा से अनूठा निवास लंका के रूप में बनवाया | गृह प्रवेश पर रावण को पुरोहित बनाया | रह गए फिर अनिकेत ! आज के शक्ति-पुंजों को शिव की जीवन-शैली से प्रेरणा लेने की जरुरत है |
  सर्वदेवात्मको रुद्रः सर्वे देवाः शिवात्मकाः | अर्थात सभी देवताओं की आत्मा में रूद्र उपस्थित हैं और सभही देवता शिव की आत्मा हैं |

                                        - : रुद्रह्रिद्योप्निषद 
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About सौरभ मैथिल

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