दिनांक 31 जनवरी 2016 को,
रटगर्स विश्वविद्यालय, न्यूजर्सी अमेरिका कसे पूर्व प्राचार्य सः एठेतिक आर्ट फाउंडेशन के उपाध्यक्ष डा. परमेश्वर झा ने हिन्दुस्तासं से खास बातचीत में बताया कि बेशक मिथिला पेंटिंग यहाँ की कला है | लेकिन मिथिला की कला की पहचान हिंदुस्तान से ज्यादा विदेशों में है | मिथिला पेंटिंग के नाम से विख्यात यहाँ की कला एवं संस्कृति को यहाँ के लोगो ने खासी तबज्जों नही दी है | हमारी संस्कृति को हमसे ज्यादा विदेशी समझते हैं |
तक़रीबन हजारों की संख्यां में विदेशी विद्यार्थी मिथिला की संस्कृति को नजदीक से देखने मिथिलांचल आते हैं |
बड़े दुःख की बात है कि सरकार ने इसके उत्थान के लिए अभी तक कोई कारगर कदम नही उठाए हैं |
उन्होंने बताया की दुनियाँ के नामचीन संग्रहालय मसलन मिथिला म्यूजियम जापान, सिरेक्युज विश्वविद्यालय, लन्दन संग्रहालय, प्लेरिस, रोम आदि न जाने कितने ऐसे देश हैं जहाँ मिथिला की संस्कृति को दर्शाया गया है |
उन्होंने कहा जब विदेशों में हमारी संस्कृति इतनी पूजनीय है तो फिर अपने देश में क्यों नही |
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