मिथिला की संस्कृति बहुत बलवान
है | संग्रहालय में रखी पत्थर की मूर्तियों को निर्जीव न समझें, ये अपने काल को
बयां करती हैं | जरुरत बस यह है कि इनकी विशेषताओं को बतलाने वालों की |
उक्त बातें कला, संस्कृति एवं युवा
विभाग के प्रधान सचिव विवेक सिंह ने शनिवार को चंद्रधारी संग्रहालय के सभागार में
मिथिला की कला एवं संस्कृति पर आयोजित एक सेमिनार के दौरान कहीं | जो की दिनांक, 31
जनवरी 2016 को आयोजित की गई थी |
उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में
दरभंगा और गया के संग्रहालय को मॉडल संग्रहालय बनाया जाएगा | उन्होंने कहा कि यहाँ
वॉटर स्पोर्ट्स की अपार सम्भावना है, शीघ्र ही इस दिशा में कार्य किया जाएगा |
श्री सिंह ने कहा कि संस्कृति समाज को जोड़ने का काम करती है | इसीलिए समाज के हर
वर्ग के लोगों को अपनी संस्कृति बचाए रखने के लिए आगे आना चाहिए | सभा को संबोधित
करते हुए डीएम बाला मुरुगन डी ने कहा कि अपने अल्प समय के कार्यकाल में
मिथिला की संस्कृति को जानने का मौका नही मिला | उन्होंने कहा कि वे यहाँ कुछ
सिखाने आए हैं | उन्होंने दरभंगा के लोगों से अपील की कि वे संग्रहालय के तर्ज पर
ही शहर को भी साफ-सुथरा रखें | डीएम ने कहा कि संग्रहालय के विकास के लिए प्रशासन
से जो भी मदद चाहिए वो दिया जाएगा |
सभा को संबोधित करते हुए दाता परिवार के सदस्य
व स्व० चंद्रधारी सिंह के पौत्र डा. श्रुतिधारी सिंह ने कहा कि करीब दो दशक के बाद
शायद किसी ने उनके परिवार को याद करते हुए उन्हें संग्रहालय आने का न्योता दिया |
उन्होंने विभाग के प्रधान सचिव व डीएम से अनुरोध करते हुए संग्रहालय में वर्षों से
बंद पड़े ज्वैलरी को आम लोगों हेतु सार्वजानिक करने की गुहार की | विभाग के प्रधान
सचिव की ओर से श्री सिंह को एक प्रशस्ति पत्र व शौल से सम्मानित किया गया |
सभा को अमेरिका के रटगर्स
विश्वविद्यालय, न्यूजर्सी अमेरिका के पूर्व प्राचार्य डा. परमेश्वर झा सहित ललित
नारायण विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष डा. रत्नेश्वर मिश्र
ने भी संबोधित किया |सभा को संबोधित करते हुए श्री मिश्र ने मिथिला के संसकृति पर
प्रकाश डाला |
सेमिनार का
उद्घाटन विभाग के प्रधान सचिव व डीएम ने दीप प्रज्वलित कर किया | मौके पर
अनुपमा मिश्र व मिथिला कला संस्थान, मधुबनी से आयी छात्राओं ने स्वागत गान गाया | वहीँ
अतिथियों का स्वागत संग्रहालय के क्यूरेटर डा. सुधीर कुमार यादव ने किया | मंच
संचालन कमलाकांत झा ने किया | मौके पर सदर एसडीओ गजेन्द्र कुमार सिंह, एमआरएम
कॉलेज के प्रधानाचार्य डा. विद्यानाथ झा, लावण्य कीर्ति सिंह, नरेंद्र नारायण
सिंह, पूर्व निदेशक संग्रहालय बिहार के डा. उमेश चन्द्र द्विवेदी, क्षेत्रीय
उपनिदेशक डा. अरविन्द महाजन, ललित नारायण विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के
विभागाध्यक्ष प्रो० मदन मोहन मिश्र, मिथिला शोध संस्थान के डाइरेक्टर देव नारायण
यादव, रविन्द्र कुमार सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित थे |
जर्जर पेंटिंग को पूर्ण जीवित देख खुश हूँ :
आरके
कॉलेज, मधुबनी के उपाचार्य सः दाता परिवार के सदस्य श्रुतिधारी सिंह ने कहा कि
पितामह द्वारा दान में दी गई कुछ पेंटिंग को मई भी नही पहचान सका | दुर्लभ पेंटिंग
जर्जर अवस्था में थी |
संग्रहालय के क्यूरेटर का प्रयास काबिले
तारीफ हैं | उन्होंने पितामह द्वारा दी गई चीजों को एक बार फिर से पूर्ण जीवित कर
दिया | मैं अपनी खुशियों को लफ्जों में बयाँ नही कर सकता | मलाल बस ये है कि ख़ुशी
के इस मौके पर न तो पिताजी हैं और न पितामह |
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