अपना हिन्दुस्तान

कभी विश्व को ज्ञान दिया था, आज जगत से दान ले रहे,
कर्मवाद के बने प्रणेता, आज निकम्मे बन बैठे हैं ,
गीता की पावन धारा भी, अपनी धरती पर है सूखी,
फिर भी खुद को कहें महान, ये है अपना हिन्दुस्तान II
वेदों को हमने सिरजा था, अब साहित्य वयस्कों का है,
गाते थे गन्धर्व जहाँ पर, आज विदेशी गीत बज रहा,
ऋषि मुनि की धरती का हमने, नामों निशां मिटा डाला है,
बदला समय चक्र बलवान, ये है अपना हिन्दुस्तान II
जहाँ जनम लेती थी सीता, वो धरती वीरान पड़ी है,
जहाँ राम ने धनुष उठाया, घर घर में रावण बैठे हैं,
मर्यादा की लक्ष्मण रेखा, जो खींची थी उसे मिटाया,
कितना बदल गया इंसान, ये है अपना हिन्दुस्तान II
नारी को देवी कहते थे, पग पग पर अब करें निरादर,
अब न द्रोपदी की रक्षा को, आते कृष्ण सुदर्शन लेकर,
गाय कभी माता होती थी, हमने उसे हलाल कर दिया,
नहीं शरम का नाम निशान,ये है अपना हिन्दुस्तान II
थी प्राचीन सभ्यता अपनी, अब असभ्य बनने की होड़,
बुद्ध और गांधी की धरती, भ्रष्टाचारी हड़प गए हैं,
मानवता और शांति अहिंसा, बैठ अँधेरे सिसक रहे हैं,
सच्चाई लेटा शमशान, ये है अपना हिन्दुस्तान II
अक्षर को हमने पहचाना, आधी जनता अभी निरक्षर,
दे जनतंत्र विश्व को हमने, शासन का इतिहास लिखा था,
लेकिन संसद में ही हमने, खुद उसका उपहास किया है,
धवस्त हो गए नियम विधान, ये है अपना हिन्दुस्तान II
आपस में मिल जुल कर रहना हम तो बिलकुल भूल चुके हैं,
सर्व धर्म समभाव का नारा कहीं किताबों बीच छुपे हैं,
धरम के नाम पे आज पड़ोसी, खून की होली खेल रहे हैं,
चार धरम का जन्मस्थान, ये है अपना हिन्दुस्तान II
शिक्षा के प्रतिमान हमीं थे, विश्व हमारे दर आता था,
नालंदा का भग्न खँडहर, बतलाता स्वर्णिम अतीत है,
आज उसी शिक्षा को हमने, पग पग पर नीलाम किया है,
करें आज किस पर अभिमान, ये है अपना हिन्दुस्तान II
थे चाणक्य जहाँ के मंत्री, वहां घोटाले पनप रहे हैं,
चन्द्रगुप्त की शासन विधि भी, अफसर के दरबार खड़ी है,
जहांगीर की न्याय व्यवस्था लक्ष्मी की सेवा करती है,
किसे पुकारें हे भगवान ! ये है अपना हिन्दुस्तान II
देश स्वतंत्र हुआ जब अपना, सोचा अब खुशहाल बनेंगे,
अपने हाथ में सत्ता होगी, जनता का कल्याण करेंगे,
तोड़ गुलामी की जंजीरें भारत नव निर्माण करेंगे,
किन्तु न पूरा ये अरमान, ये है अपना हिन्दुस्तान II
पहले जन प्रतिनिधि होते थे, लोगों के दिल में बसते थे,
जनता भी उनके कहने पर सर क़ुर्बान किया करती थी,
बोस पटेल सरीखे बेटे इसी देश की गोद में खेले,
आज नहीं उनका सम्मान, ये है अपना हिन्दुस्तान II
भाई से करके बंटवारा चैन नहीं अब तक हो पाये,
बिन कारन के झगड़ रहा है, उसे नहीं समझा पाये हैं,
ऊपर से आतंकी हमले, काश्मीर में आग लगी है,
फिर भी कहलाते मतिमान, ये है अपना हिन्दुस्तान II
मेरे प्यारे भाई बहनो ! बच्चो ! ये आवाज सुनो,
खुद संभलो और देश सम्भालो, नव विकास का लेख लिखो,
अब भी अगर नहीं मिल बैठे, तो ना कुछ भी शेष बचेगा,
मिट जायेगा नाम निशान, नहीं बचेगा हिन्दुस्तान II
आज बचा लो हिन्दुस्तान,ये है अपना हिन्दुस्तान II
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About सौरभ मैथिल

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